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इतिहास समाज को दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ByRUPESH SHARMA

Jan 30, 2025

राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं द्वितीय प्रांत अधिवेशन का भव्य आयोजन

हर्ष विद्या मंदिर पी.जी. कॉलेज, रायसी, हरिद्वार के इतिहास विभाग द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं द्वितीय प्रांत अधिवेशन का भव्य आयोजन किया गया। इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित किया गया। संगोष्ठी में देशभर से आए प्रख्यात विद्वानों, शिक्षाविदों, शोधार्थियों एवं छात्रों ने सहभागिता की और ऐतिहासिक विमर्श के विविध पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मुख्य अतिथि श्री संजय मिश्रा, राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली, ने ऐतिहासिक तथ्यों की पुनर्समीक्षा एवं राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से इतिहास लेखन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इतिहास केवल अतीत का दस्तावेज नहीं, बल्कि भविष्य के निर्माण का आधार भी है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. शैलेंद्र जी, प्रांत प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, उत्तराखंड, ने भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन की अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इतिहास को केवल विजय और पराजय के दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सभ्यतागत विकास के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए।

मुख्य वक्ता प्रोफेसर राकेश चंद्र भट्ट, पूर्व प्रतिकुलपति, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर, ने भारतीय इतिहास में उत्तराखंड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र केवल आध्यात्मिकता का केंद्र नहीं, बल्कि वैदिक, पौराणिक एवं मध्यकालीन इतिहास का साक्षी भी रहा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. के.पी. सिंह, अध्यक्ष, प्रबंध समिति, हर्ष विद्या मंदिर पी.जी. कॉलेज, रायसी, ने की। उन्होंने ऐतिहासिक शोध के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसा इतिहास लेखन आवश्यक है जो न केवल तथ्यों पर आधारित हो, बल्कि समाज को दिशा देने वाला भी हो।

सचिव एवं ब्लॉक प्रमुख डॉ. हर्ष कुमार दौलत ने कहा कि इतिहास केवल अध्ययन और अनुसंधान का विषय नहीं, बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों और सांस्कृतिक परंपराओं का वाहक भी है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि युवाओं को इतिहास के गहरे अध्ययन से जोड़कर उनकी शोध प्रवृत्ति को विकसित किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम में कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजीत कुमार राव ने संगोष्ठी की थीम पर प्रकाश डालते हुए सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रीति गुप्ता एवं डॉ. वर्षा अग्रवाल ने कुशलता से किया।

इस अवसर पर प्रांत उपाध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार, महासचिव डॉ. शिवचंद सिंह रावत, डॉ. के.पी. तोमर, डॉ. प्रशांत कुमार, डॉ. पूनम चौधरी, कुलदीप सिंह टंडवाल सहित देशभर से आए अनेक शोधार्थी, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

संगोष्ठी के दौरान विभिन्न विषयों पर शोधार्थियों द्वारा शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण किया गया, जिसमें भारतीय इतिहास लेखन की चुनौतियाँ, सांस्कृतिक परंपराओं का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, लोक इतिहास एवं स्थानीय परंपराएँ जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल रहे। इन शोध पत्रों के माध्यम से ऐतिहासिक अध्ययन की नई दिशाओं एवं दृष्टिकोणों पर व्यापक विमर्श हुआ, जिससे ऐतिहासिक शोध को नई दिशा देने में सहायता मिलेगी।

कार्यक्रम के समापन सत्र में आयोजकों ने सभी प्रतिभागियों एवं अतिथियों का आभार व्यक्त किया तथा इस बात पर सहमति जताई कि ऐसे आयोजन इतिहास के व्यापक अध्ययन एवं नवीन दृष्टिकोणों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इस प्रकार यह राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं द्वितीय प्रांत अधिवेशन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ, जिसने इतिहास लेखन, अनुसंधान एवं सांस्कृतिक विमर्श की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया।

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