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अप्रकाशित ग्रंथों पर अनुसंधान करके भारतीय समाज को विकसित करने में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय अग्रसर है।

ByRUPESH SHARMA

Apr 22, 2025

आज ‌उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में 21वाँ स्थापना दिवस समारोह अत्यंत हर्षोल्लास एवं धूमधाम के साथ मनाया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री एवं कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने दीप प्रज्वलन एवं वैदिक मंगलाचरण के साथ किया।

इस अवसर पर शिक्षकों एवं छात्रों को संबोधित करते हुए कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के पूर्व स्वरूप से लेकर आज तक के स्वरूप का विवरण देते हुए बताया कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय उन्नति के पथ पर अग्रसर है। आज संसाधनों, इंफ्रास्ट्रक्चर एवं पठन-पाठन की दृष्टि तथा फैकल्टी की क्वालिटी की दृष्टि से हमारा विश्वविद्यालय एक महत्वपूर्ण स्वरूप धारण कर चुका है। कहा कि विश्वविद्यालय में अधिकारी आते हैं और जाते रहते हैं अधिकारी बदलते रहते हैं किंतु विश्वविद्यालय का स्वरूप एक परिमार्जित और परिशोधित रूप से समाज के उद्देश्यों और आदर्शों को प्रस्तुत करता हुआ नई पीढ़ी के दिशा निर्देशन का कार्य करता रहता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों तथा छात्रों की सराहना करते हुए कहा कि कि हमारे विश्वविद्यालय द्वारा जो प्रोजेक्ट कार्य किए जा रहे हैं वे अत्यंत महत्वपूर्ण एवं भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित हैं। विश्वविद्यालय द्वारा संचालित प्रोजेक्ट को राजभवन द्वारा भी सराहा गया है । उन्होंने नए प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिए शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का कार्य समाज को समुचित मार्ग दिखाना है। संस्कृत विश्वविद्यालय होने के नाते भारतीय ज्ञान परंपरा एवं संस्कृत के विभिन्न अप्रकाशित ग्रंथों पर अनुसंधान करके भारतीय समाज को विकसित करने में विश्वविद्यालय अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा कि वस्तुत: विश्वविद्यालय अनुसंधान के केंद्र होते हैं। इसीलिए उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में 6 शोधपीठों की स्थापना की गई है। प्रत्येक शोधपीठ विविध महापुरुषों के व्यक्तित्व पर आधारित है जिससे उनके द्वारा प्रदर्शित मार्ग पर चलकर गहन शोध को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने छात्रों का आह्वान करके कहा कि छात्र पुस्तकालय में बैठकर उच्च अध्ययन की आदत डालें जिससे उन्हें शास्त्रीय ज्ञान के साथ ही समसामयिक ज्ञान प्राप्त होगा।

इससे पूर्व शिक्षाशास्त्र विभाग के छात्रों ने कुलगीत तथा स्वागत गीत प्रस्तुत किया। योगाचार्य की छात्रा रिया ने शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया।

अतिथियों का स्वागत डा. विंदुमती द्विवेदी ने किया।

कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ. सुमन प्रसाद भट्ट ने किया।

इस अवसर पर शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रो० मोहन चंद्र बलोदी , व्याकरण विभाग से डॉ० दामोदर परगाईं , साहित्य विभाग से डॉ० प्रतिभा शुक्ला डॉ० हरीश तिवारी एवं डॉ० कंचन तिवारी , इतिहास विभाग के डॉ० अजय परमार, सुशील चमोली, मीनाक्षी सिंह रावत, डा. प्रकाश पंत उपस्थित रहे।

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