लोकसभा में सांसद दयानिधि के दिए बयान पर बबाल।
डी एम के के सांसद दयानिधि मारन द्वारा संस्कृत भाषा पर लोकसभा में दिए गए बयान पर विवाद थम नहीं रहा है। आज उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने इस बयान को गैर जिम्मेदार और निंदनीय बताया है।
सांसद के संस्कृत विरोधी बयान पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए प्रोफेसर शास्त्री ने बताया कि संस्कृत केवल एक भाषा ही नहीं है अपितु यह भारतीय विचारधारा, जीवन दृष्टि और विश्व दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करने का एक सशक्त माध्यम है। ऐसी स्थिति में यदि कोई व्यक्ति संस्कृत भाषा का अपमान करता है तो इसे हमारे धर्म, दर्शन, संस्कार और परंपराओं पर सीधा-सीधा एक प्रहार माना जाना चाहिए।
प्रो. शास्त्री ने आगे कहा कि जहाँ एक ओर हमारा देश विकसित भारत@2047 के विजन एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्देशों के आलोक में संस्कृत भाषा के उत्थान एवं प्रचार प्रसार में संलग्न है, वहां सांसद मारन द्वारा संसद की कार्यवाही को संस्कृत भाषा में अनुवादित किया जाने के श्रेष्ठ कार्य को पैसे की बर्बादी बताना किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
प्रो. शास्त्री ने कहा कि संस्कृत भाषा का इतिहास, उसकी संरचना एवं वैश्विक पटल पर इसका प्रभाव इसे भारत के गौरव के रूप में स्थापित करता है। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के मूल में संस्कृत की गहरी जड़े विद्यमान हैं। भारतीय जीवन दर्शन के मूल पर आधारित ग्रंथ देववाणी संस्कृत में ही लिखे गए हैं। उन्होंने कहा कि आज संस्कृत भाषा भारत की वैश्विक स्तर कनेक्टिविटी का एक सराहनीय माध्यम बन रही है। ऐसे में मारन को अपने गैर जिम्मेदार बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।