योग विज्ञान विभाग उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय एवं इंडियन एसोसिएशन ऑफ योग के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की उपलक्ष में दशम अंतर्राष्ट्रीय योग संगोष्ठी का आयोजन किया गया।संगोष्ठी का शीर्षक scientific exploration of principal and practice of yoga रहा । संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं वेद मित्रों के उच्चारण के साथ किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रोफेसर प्रहलाद जोशी संस्कृत विश्वविद्यालय असम द्वारा किया गया इस अवसर पर योग की व्यावहारिक पक्ष को बड़ी सरलता के साथ वैज्ञानिक रूप में रखते हुए मुख्य वक्ता प्रोफेसर बी शर्मा कुलपति श्री श्री विश्वविद्यालय कटक ने कहा कि यह आत्म चिंतन का विषय है जिसकी आधारशिला यम- नियम है। इसलिए हम सभी को आसन प्राणायाम के साथ-साथ इस पक्ष को अमल में लाना बहुत जरूरी है। इसके द्वारा उन्होंने मनुष्य कल्याण के गुण रहस्य को उजागर किया संगोष्ठी के अध्यक्ष माननीय कुलपति प्रोफेसर दिनेशचंद्र शास्त्री जी ने योग की वर्तमान समय में मेहता को स्पष्ट करते हुए कहा कि योग वर्तमान समय की मांग है इसके द्वारा हर क्षेत्र में लाभ प्राप्त किया जा सकता है कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने भी अपने विचार रखें। संगोष्ठी के संयोजक डॉ0 कामाख्या कुमार ने दो दिवसीय संगोष्ठी के निष्कर्ष को उपस्थित सभी प्रतिभागियों के समक्ष रखते हुए बताया कि योग के शारीरिक पक्ष के साथ-साथ अन्य सभी आयामों के मध्य मध्य एकरूपता लाना है इसलिए केवल योग को आसन प्राणायाम तक सीमित करना उचित नहीं है योगाभ्यास के साथ उसके सैद्धांतिक पक्ष को चिंतन मनन करते हुए उसे अपने व्यवहार में लाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना चाहिए प्रोफेसर ईश्वर भारद्वाज, प्रोफेसर महेश प्रसाद सालोडी, प्रोफेसर बरनवाल, डॉक्टर निधिश यादव, डॉ0 संजय सिंह, डॉ0 अनुज रावत, प्रोफेसर प्रद्युमन सिंह शेखावत, डॉ0 दीपेश्वर सिंह एवं डॉ0 नरेंद्र सिंह ने विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता की। 15 राज्यों से 360 प्रतिभागियों ने 150 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किया।
संगोष्ठी के समापन पर शिमला से मुख्य अतिथि प्रोफेसर जी0 डी0 शर्मा ने योग को कुछ समाज के एकरूपता और सामंजस्य बनाए रखने के लिए एक बेहतर विकल्प बताते हुए कहा कि मुझे आशा है कुछ समय बाद पुनः भारत को योग के कारण विश्व गुरु के रूप में जाना जाएगा डॉ0 सुधांशु वर्मा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग में कार्यक्रम का संचालन किया योग विभाग के अध्यक्ष डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी जी द्वारा संगोष्ठी के समापन पर आए सभी अतिथियों वक्ताओं एवं शोध छात्र आदि का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस बार किन्ही कारणों से यह संगोष्ठी आभासी माध्यम से कराई गई किंतु अगली बार यह प्रत्यक्ष और आभासी दोनों ही माध्यम से कराई जाएगी। मनुष्य के यह सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इस अवसर पर डॉक्टर अनुपम कोठारी शोध छात्र मोहित कुमार दिशांत शर्मा आदि उपस्थित रहे।