गुजरात हाईकोर्ट ने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट की वह अपील मंगलवार को खारिज कर दी जो उन्होंने हिरासत में मौत के 1990 के मामले में अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ दायर की है। इस मामले में भट्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री और न्यायमूर्ति संदीप भट्ट की खंडपीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 323 और 506 के तहत भट्ट और सह-आरोपी प्रवीणसिंह जाला की सजा बरकरार रखी।
अदालत ने राज्य सरकार द्वारा दायर एक अपील भी खारिज कर दी, जिसमें पांच अन्य आरोपियों की सजा बढ़ाने का अनुरोध किया गया था। इन आरोपियों को हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था, लेकिन धारा 323 और 506 के तहत दोषी ठहराया गया था।
भट्ट और जाला जेल में बंद हैं, अदालत ने इन पांच आरोपियों के जमानत बांड रद्द कर दिए जो फिलहाल जेल से बाहर हैं।
30 अक्टूबर, 1990 को, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भट्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की ‘रथ यात्रा’ को रोकने के खिलाफ ‘बंद’ के आह्वान के बाद जामजोधपुर शहर में सांप्रदायिक दंगे के बाद लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था।
हिरासत में लिए गए व्यक्तियों में शामिल एक व्यक्ति प्रभुदास वैश्नानी की रिहायी के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई। वैश्नानी के भाई ने भट्ट और छह अन्य पुलिस अधिकारियों पर हिरासत में उसे प्रताड़ित करने और उसकी मौत का कारण बनने का आरोप लगाया।