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संस्कृत की जटिलताओं को सरल स्वरूप दे कर विश्व उत्थान की आवश्यकता।

ByRUPESH SHARMA

Jan 24, 2024

24 जनवरी 2024 बुधवार को उत्तराखंड संस्कृत विश्वविधालय में *”सरलमानकसंस्कृतम्”* विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया यह कार्यशाला भारतीय भाषा समिति (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) के द्वारा प्रायोजित है। दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का श्री गणेश किया साथ ही कार्यक्रम में आए सभी विद्वानों को फूल मालाएं पहना कर उनका स्वागत किया गया। साथ ही इस  कार्यशाला में सम्मिलित होने के लिए लगभग 150 संस्कृत के शिक्षकों और छात्रों ने  पंजीकरण करवाया था । कार्यशाला में प्रतिभागियों को सरल मानक संस्कृत का ज्ञान देने के लिए मेरठ से उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर वाचस्पति मिश्र, डॉक्टर नवीन जसोला, डॉक्टर वेदव्रत, डॉक्टर प्रदीप सेमवाल और उत्तराखंड संस्कृत अकादमी से शोध अधिकारी डॉक्टर हरिश्चंद्र गुरुरानी ने अपने उद्बोधन से छात्र छात्राओं का मार्ग दर्शन किया। यह कार्यशाला चार सत्रों में संचालित की गई जिसमे सभी  प्रतिभागियों को सरल मानक संस्कृत के स्वरूप और क्रियान्वयन की जानकारी के साथ ही प्रौढ़ संस्कृत से सरल संस्कृत में वाक्य परिवर्तन का अभ्यास करवाया गया। इस कार्य शाला का लाभ सभी प्रतिभागियों को मिला और सभी प्रति भागी आने वाले भविष्य में सिखाए गए ज्ञान का उपयोग करके विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंगे। आज की कार्यशाला से छात्र छात्राओं में एक अलग ही प्रकार का उत्साह भी देखने को मिला।

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर राम रत्न खंडेलवाल ने कहा की संस्कृत उत्तराखंड की पहचान के साथ साथ  देवो की वाणी भी है। इस वाणी को सरल तरीको के द्वारा सभी के बीच पहुंचाने की आवश्यकता है तभी यह भाषा भारत वर्ष में लोकप्रिय हो पाएगी। साथ ही संस्कृत की जटिलताओं को दूर कर सरल स्वरूप दे कर विश्व कल्याण की आवश्यकता है।

इस कार्यक्रम में डॉक्टर बिंदुमति, डॉक्टर मीनाक्षी,डॉक्टर मनोज किशोर पंत, डॉक्टर राकेश कुमार, डॉक्टर प्रमेंद्र, डॉक्टर सुमन इत्यादि विद्वानों ने अपनी उपस्थिति  से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

 

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